इंचागढ़ के कालीचामदा गांव तिरपाल में रह रहे विस्थापित। : हिन्दुस्तान अखबार
धीरे-धीरे घरों को लौटने लगे लोग, अब भी कई राहत कैंप में लिये हुए हैं आश्रय
विस्थापित गांवों में बाढ़ के बाद अब बीमारी का खतरा
चांडिल, संवाददाता। बाढ़ का पानी तीन दिनों के बाद विस्थापितों गांवों में घटने के बाद अब महामारी फैलने की आशंका से लोग डरे हुए हैं। बाढ़ प्रभावित करीब 50 गांवों में पानी होने के बाद सड़कों एवं गांवों के आसपास कचरा एवं मरे मवेशियों के दुर्गंध से बीमारी का खतरा उत्पन्न हो गया है। मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ने लगा है
वहीं, डैम का पानी जलस्तर घटने के बाद लोग धीरे-धीरे लौटने लगे हैं। कई विस्थापितों का आशियाना जमीनदोज हो जाने के बाद वे सरकारी भवनों में आश्रय लिए हुए हैं। गुरुवार को भी ईचागढ़, पातकुम एवं अन्य गांवों में करीब एक दर्जन घर ढह गए। इधर, सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि इसके लिए मेडिकल टीम गठित कर दी गई है।
24 घंटे में डेढ़ मीटर कर जलस्तर की हुई कमीः चांडिल डैम का तीसरे दिन भी डैम पुल बंद
डैम का जलस्तर घटने के बावजूद स्वर्णरेखा नदी पर बने डैम पुल पर से आवागमन को बंद करने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इधर, जलसंसाधन विभाग के सहायक अभियंता जयंत कुमार ने बताया कि कल से डैम पुल से आवागमन को चालू कर दिया जायेगा।
जलस्तर गुरुवार की रात्रि 10 बजे तक घटकर 181.50 मीटर पर आने के बाद डैम के खुले हुए 12 फाटक में से चार को बंद कर दिया गया। देर रात तक डैम के कुल आठ फाटक खुले हुए थे तथा 1250 क्यूमेक पानी स्वर्णरखा नदी में छोड़ा जा रहा था। बता दें कि बुधवार देर रात डैम का जलस्तर 183 मीटर पर था तथा मंगलवार को डैम का जलस्तर रिकार्ड 183.80 मीटर पर पहुंच गया था।